Kanpur (Kanhapur) : श्री अन्न के उत्पादन से किसानों की बढ़ेगी आय व सेवन से प्रतिरोधक क्षमता : डॉ. खलील खान

कानपुर (कान्हापुर) : श्री अन्न के उत्पादन से मानव जीवन सुरक्षित होने के साथ ही किसानों के आय में भी वृद्धि होगी। जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर श्री अन्न के फसलों का उत्पादन अब बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। यह जानकारी मंगलवार को सीएसए के मृदा वैज्ञानिक डॉ.खलील खान ने दी।
उन्होंने बताया कि श्री अन्न अर्थात मोटे अनाज ज्वार, बाजरा और रागी का मुख्य स्थान आता है। जबकि छोटे मिलेटेस फसलों में कोदों, कुटकी, सांवा, मकरा आदि की खेती होती है।
उन्होंने मंगलवार को कानपुर के रायपुर गांव में किसानों को बताया कि जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत यह फसलें अत्यंत उपयोगी हो गई है। जो कि सूखा सहनशील, अधिक तापमान, कम पानी की दशा में तथा कम उपजाऊ जमीन में भी आसानी से पैदा कर इनसे अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों का रुझान मोटे अनाजों के उत्पादन की तरफ हो रहा है।
श्री अन्न में रोग एवं कीट लगने की कम होती है संभावना
इस अवसर पर केंद्र के प्रभारी डॉ एके सिंह ने कृषकों को बताया कि मोटे अनाजों में अन्य फसलों की अपेक्षा कीट एवं रोग कम लगते हैं, जिससे फसल लागत कम आती है और किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। उन्होंने बताया कि मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से मोटे अनाज काफी लाभकारी हैं, इसलिए इन्हें सुपर फूड कहा जाता है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाजों को दैनिक आहार में प्रयोग करने से मधुमेह, रक्तचाप एवं गुर्दे की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
इस अवसर पर गृह वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने मिलेट्स के मूल्य संवर्धन विषय पर विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर किसानों को रबी फसल के बीजों के किट वितरित किए गए।
उल्लेखनीय है कि कि चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह के निर्देश पर मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर ने गांव रायपुर में किसानों को एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण में श्री अन्न (मोटे अनाजों) की उत्पादन तकनीकी की बारीकियों को बताया गया।
इस अवसर पर डॉ शशिकांत, डॉ राजेश राय, कृषि विभाग के बीज गोदाम प्रभारी दीपक सहित प्रगतिशील किसान चरण सिंह, चुन्ना सिंह राजू राजपूत एवं माया देवी सहित आसपास क्षेत्र के सौ से अधिक किसानों ने प्रतिभाग किया।
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