Prayagraj : हाईकोर्ट के रिटायर जजों की सुविधाएं बढ़ाने में सरकार को सख्त निर्देश

चीफ जस्टिस के प्रस्ताव को तत्काल अमल में लाया जाय
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आज उत्तर प्रदेश में रिटायर हाईकोर्ट जजों के घरेलू नौकरों समेत उनकी अन्य सुविधाएं बढ़ाने के मामले को लेकर सख्त कदम उठाते हुए प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा इस सम्बंध में भेजे गए प्रस्तावित नियम को तत्काल अमल में लाए। निर्देश दिया है कि इस प्रस्ताव को अमल में लाते हुए जारी पूर्व शासनादेश 3 जुलाई 2018 को अतिक्रमित किया जाये।
यह आदेश जस्टिस सुनील कुमार एवं जस्टिस राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ ने एसोसिएशन ऑफ रिटायर सुप्रीम कोर्ट एंड हाईकोर्ट जजेज की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर अमल करते हुए वित्त विभाग इस प्रस्ताव पर एक सप्ताह के भीतर अपना अनुमोदन दे। निर्देश दिया गया है कि अनुमोदन व शासनादेश को कोर्ट के समक्ष मुकदमे की अगली सुनवाई पर प्रस्तुत किया जाए। कोर्ट ने कहा कि ऐसा न करने की दशा में अपर मुख्य सचिव वित्त तथा कोर्ट में उपस्थित सभी अधिकारी 19 अप्रैल 2023 को पुनः हाजिर होंगे।
याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता आलोक कुमार यादव ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उत्तर प्रदेश में भी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को वही सुविधाएं व लाभ दिया जाए जो आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा अपने राज्य के रिटायर्ड जजों को दे रही है। अधिवक्ता ने कोर्ट से इस आशय का परमादेश जारी करने का अनुरोध किया।
कोर्ट द्वारा पारित पूर्व के आदेश के अनुपालन में कोर्ट के समक्ष एसएमए रिजवी, सचिव वित्त, सरयू प्रसाद मिश्रा विशेष सचिव वित्त, तथा प्रमुख सचिव ला रिकॉर्ड के साथ उपस्थित थे। प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखा। कोर्ट द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए सचिव वित्त ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मामले को आदेश पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए ताकि पूरे देश के लिए एक समान नियम बनाया जा सके। कोर्ट में उपस्थित प्रमुख सचिव ला ने कहा इस मामले में वित्त विभाग के किसी भी आपत्ति कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा भेजे गए प्रस्तावित नियमावली में आपत्ति लगाने का वित्त विभाग कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब 19 अप्रैल को करेगी।
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